Friday, 19 December 2014

पेशावर के बच्चों के लिए

पेशावर के बच्चों के लिए


सो जाओ मेरे बच्चों
ये नर्म सफ़ेद चादरें ये गीला गीला सा बिस्तर
ये फातिहे की पुरदर्द आवाज़ें
तुम्हारी अम्मियों को इजाज़त नहीं आज तुम्हारे पास आने की
तुम्हारे दोस्त सारे साथ हैं
साथ हैं तुम्हारी किताबें
तुम्हारी कलमें जो अब कोई लफ्ज़ लिख न पाएंगी
सो जाओ मेरे बच्चों
अपने ख़्वाबों को सिरहाने रख के
मैं अपने हरुफ़ के नर्म तकिये लगा देता हूँ
उनमें जो परियाँ थीं सब तुमसे मिलेंगी आज की शब
उनमें जो चाकलेट थे सब आज की शब तुम्हारे हैं
उनमें जो उड़ाने थीं आसमानों की सब पूरी हुईं
तुम्हारे साथ ख़ुदा है
या कि उनके साथ था वह?
सवाल ये कि जिसका अब कोई जवाब नहीं
मिले जो रोज़-ए-क़यामत तो पूछना मत कुछ.
ख़ुदा के सारे वो बन्दे बहिश्त में जाकर
तुम्हारी परियों के परों को नोच लेंगे और
वो उनके साफ़ शफ्फाक लिबासों पर दाग़ जो होगा खुदा का होगा
तुम अपने बस्ते में रखा हुआ टिफिन देना उनको
और उनकी आँखों को चूम लेना
गोद में उनकी सर रख के सो जाना
तुम्हारी माओं की सी खुशबू उनसे आएगी
वहां पे बच्चों की कोई कमी नहीं होगी
खुदा के बन्दों की नेकी के हैं कई सबूत वहां
सारी दुनिया के बच्चों की आरामगाह है वह
वहां फलस्तीन के बच्चों की एक बस्ती हैं
सीरिया के वहां इरान के भी तमाम बच्चे हैं
वहां कश्मीर के बच्चे हैं गोधरा के भी हैं
सुनो जो काले काले अफ्रीकी बच्चे मिलें
तुम उनके हाथ थाम लेना उन्हें सलाम कहना
इराकी दोस्त मिलेंगे जो तुम्हें तुम पोछ देना उनकी आँख के आँसू
वहां सलोने से मणिपुरी बच्चे होंगे, तुम उनसे उनकी ही भाषा में बात कर लेना
वहां पे दुधमुंही बच्चियाँ बहुत सी होंगी और अजन्मी भी बहुत
तुम उनके माथे को चूम लेना मुआफ़ी कहना
और तुम्हारे अपने वतन के बच्चे तो रोज़ आते हैं वहां
खेलना और खुश रहना
सो जाओ मेरे बच्चों
वहां पे सारी ख़ुशी होगी सब सुकूं होगा
अब कितने और दिन हम भी यहाँ रहेंगे और
खुदा के बन्दों को हम पर भी तो आयेगा रहम
हम आएंगे तो आकर के लग जाना गले
वहां पे फूल हैं पानी के साफ़ चश्में हैं
लहू तो सारा ज़मीन पर ही सूख जाता है
खुदा से और उसके बन्दों ज़रा सा बच बचा के चलना
तुम अपनी शरारतों में वहां रहना खूब खुश रहना
सब्ज़ मैदान, संदली सी हवा
आरामगाह और दैर-ओ-हरम
वहां पे सब है
बस एक स्कूल ही तो नहीं!
O- अशोक कुमार पाण्डेय

About The Author

अशोक कुमार पाण्डेय, जनवादी कवि हैं। 
साभार :http://www.hastakshep.com/hindi-literature/%E0%A4%B0%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0/poetry/2014/12/19/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+Hastakshepcom+%28Hastakshep.com%29

 

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